सोमवार, 3 अक्तूबर, 2011 को 07:42 IST तक के समाचारयोजना आयोग के ज़रिए सुप्रीम कोर्ट में ग़रीबी रेखा की सीमा तय करने पर दिए गए आंकड़ों पर मचे हंगामे के बीच संगठन के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाक़ात की है.
ख़बरें हैं कि मोंटेक सिंह इस मामले पर सोमवार को आयोग की ओर से सफ़ाई दे सकते हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने 26 और 32 रुपए वाले हलफ़नामे और उससे उठे विवाद पर बातचीत की है.
आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए एक हलफ़नामे में कहा था कि शहरी इलाक़ों में रह रहा कोई भी व्यक्ति जो रोज़ाना 32 रुपए से ज़्यादा ख़र्च करता है वो ग़रीब नहीं है.
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रूपए के आंकड़े को 26 पर रखा गया था.
फ़ायदा
अगर इन आंकड़ों को मान लिया गया तो इसका मतलब होगा कि करोड़ों लोगों को ग़रीबी के आधार पर तैयार की गई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा.
ख़ुद को आम आदमी की सरकार बताने वाली मनमोहन सिंह सरकार के इस रवैये ने काफ़ी विवाद खड़ा कर दिया है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की देख-रेख में काम करने वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य हर्ष मन्दर और अरुणा रॉय ने मोंटेक सिंह को चुनौती दी है कि वो 32 रूपये में एक दिन बिताकर दिखाएं.
अरुणा रॉय ने तो यहां तक कहा है कि अगर हुकूमत हमेशा सिर्फ़ आर्थिक विकास की ही बात करती रहेगी तो इसका अंजाम वही होगा जो 'इंडिया शाइनिंग' वाली भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार का हुआ था.
नए आंकड़े
सोमवार पर इस मामले पर अपना पक्ष रखने से पहले योजना आयोग के उपाध्यक्ष ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से मिलेंगे.
इस तरह के संकेत भी मिल रहे हैं कि योजना आयोग इस मामले पर नए आधार तय कर सकता है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने रविवार को कहा, "जब हमने आयोग से इस मामले में सूचना मांगी तो हमें बताया गया कि ये एक प्राथमिक दस्तावेज़ है, किसे पता है इस पर नए आंकड़े भी आ सकते हैं और इसमें बदलाव हो सकता है."
ख़बरें हैं कि मोंटेक सिंह इस मामले पर सोमवार को आयोग की ओर से सफ़ाई दे सकते हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने 26 और 32 रुपए वाले हलफ़नामे और उससे उठे विवाद पर बातचीत की है.
आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए एक हलफ़नामे में कहा था कि शहरी इलाक़ों में रह रहा कोई भी व्यक्ति जो रोज़ाना 32 रुपए से ज़्यादा ख़र्च करता है वो ग़रीब नहीं है.
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रूपए के आंकड़े को 26 पर रखा गया था.
फ़ायदा
अगर इन आंकड़ों को मान लिया गया तो इसका मतलब होगा कि करोड़ों लोगों को ग़रीबी के आधार पर तैयार की गई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा.
ख़ुद को आम आदमी की सरकार बताने वाली मनमोहन सिंह सरकार के इस रवैये ने काफ़ी विवाद खड़ा कर दिया है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की देख-रेख में काम करने वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य हर्ष मन्दर और अरुणा रॉय ने मोंटेक सिंह को चुनौती दी है कि वो 32 रूपये में एक दिन बिताकर दिखाएं.
अरुणा रॉय ने तो यहां तक कहा है कि अगर हुकूमत हमेशा सिर्फ़ आर्थिक विकास की ही बात करती रहेगी तो इसका अंजाम वही होगा जो 'इंडिया शाइनिंग' वाली भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार का हुआ था.
नए आंकड़े
सोमवार पर इस मामले पर अपना पक्ष रखने से पहले योजना आयोग के उपाध्यक्ष ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से मिलेंगे.
इस तरह के संकेत भी मिल रहे हैं कि योजना आयोग इस मामले पर नए आधार तय कर सकता है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने रविवार को कहा, "जब हमने आयोग से इस मामले में सूचना मांगी तो हमें बताया गया कि ये एक प्राथमिक दस्तावेज़ है, किसे पता है इस पर नए आंकड़े भी आ सकते हैं और इसमें बदलाव हो सकता है."
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