नई दिल्ली।। अंडमान द्वीप में बिस्किट और चंद सिक्कों के लिए जरावा आदिवासियों को विदेशी पर्यटकों के सामने करीब-करीब नंगा नचाया गया। पापी पेट के लिए विदेशियों के सामने नाच रहीं महिलाओं के शरीर के ऊपरी हिस्से पर कपड़े का एक टुकड़ा तक नहीं था। पूरे घटनाक्रम का विडियो सामने आने के बाद आदिवासी मामलों के मंत्री के. सी. देव ने कहा कि कार्रवाई की जाएगी।
गृह मंत्रालय ने अंडमान प्रशासन से इस मामले में 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी है। हालांकि अंडमान के डीजीपी ने इस विडियो पर संदेह जताते हुए कहा कि इसको शूट किए जाने की तारीख भी नहीं सामने आ रही है और मुमकिन है कि इसे 2002 में शूट किया गया हो। हालांकि ब्रिटिश पत्रकार ने दावा किया है कि यह विडियो पुराना नहीं है।
पुलिस का कहना है कि विडियो शूट करने वाले के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। अंडमान के आदिवासियों की मजबूरी का फायदा कैसे उठाया जाता है इसकी एक झलक ब्रिटिश मीडिया में आए इस विडियो में दिखी रही है। यहां मौज-मस्ती के लिए आने वाले विदेशी सैलानियों के सामने मजबूर आदिवासियों को नाचने पर मजबूर किया जाता है। हैरत की बात यह है कि यह मामला यहां से सैर करके लौटे ब्रिटेन के एक पत्रकार ने खोला है।
ब्रिटेन के अखबार 'ऑब्जर्वर' के पत्रकार गेथिन चैम्बरलेन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि स्थानीय पुलिसकर्मियों ने जरावा समुदाय के आदिवासियों को खाने के लिए कुछ बिस्किट और चंद सिक्कों का लालच देकर सैलानियों के सामने नाचने को कहा। ब्रिटिश मीडिया में जारी विडियो में दिखाया गया है कि पर्यटकों को जरावा आदिवासियों के क्षेत्र में ले जाकर उन्हें जनजाति का नाच दिखाया जाता है। विडियो में आदिवासियों की सुरक्षा के लिए तैनात एक पुलिसवाला ही महिलाओं से कह रहा है कि अगर वे विदेशी टूरिस्टों के सामने नाचेंगी, तो उन्हें खाना मिलेगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि आदिवासी इलाके में घूमने के लिए जाने वाले पर्यटक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की तरह आदिवासियों के लिए सड़क के किनारे केले और बिस्किट फेंकते हैं।
जरावा आदिवासी भारत में अंडमान द्वीप पर ही पाए जाते हैं। अब इनकी संख्या 403 के आसपास ही बची है। सुप्रीम कोर्ट ने इनके संरक्षण को लेकर पहले ही कई कदम उठाने के आदेश दे रखे हैं। जरावा आदिवासियों के संरक्षण के लिए कोर्ट का साफ निर्देश है कि उनके रिहायशी इलाके तक जाने वाली सड़क पर आम लोगों को न जाने दिया जाए।
गृह मंत्रालय ने अंडमान प्रशासन से इस मामले में 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी है। हालांकि अंडमान के डीजीपी ने इस विडियो पर संदेह जताते हुए कहा कि इसको शूट किए जाने की तारीख भी नहीं सामने आ रही है और मुमकिन है कि इसे 2002 में शूट किया गया हो। हालांकि ब्रिटिश पत्रकार ने दावा किया है कि यह विडियो पुराना नहीं है।
पुलिस का कहना है कि विडियो शूट करने वाले के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। अंडमान के आदिवासियों की मजबूरी का फायदा कैसे उठाया जाता है इसकी एक झलक ब्रिटिश मीडिया में आए इस विडियो में दिखी रही है। यहां मौज-मस्ती के लिए आने वाले विदेशी सैलानियों के सामने मजबूर आदिवासियों को नाचने पर मजबूर किया जाता है। हैरत की बात यह है कि यह मामला यहां से सैर करके लौटे ब्रिटेन के एक पत्रकार ने खोला है।
ब्रिटेन के अखबार 'ऑब्जर्वर' के पत्रकार गेथिन चैम्बरलेन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि स्थानीय पुलिसकर्मियों ने जरावा समुदाय के आदिवासियों को खाने के लिए कुछ बिस्किट और चंद सिक्कों का लालच देकर सैलानियों के सामने नाचने को कहा। ब्रिटिश मीडिया में जारी विडियो में दिखाया गया है कि पर्यटकों को जरावा आदिवासियों के क्षेत्र में ले जाकर उन्हें जनजाति का नाच दिखाया जाता है। विडियो में आदिवासियों की सुरक्षा के लिए तैनात एक पुलिसवाला ही महिलाओं से कह रहा है कि अगर वे विदेशी टूरिस्टों के सामने नाचेंगी, तो उन्हें खाना मिलेगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि आदिवासी इलाके में घूमने के लिए जाने वाले पर्यटक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की तरह आदिवासियों के लिए सड़क के किनारे केले और बिस्किट फेंकते हैं।
जरावा आदिवासी भारत में अंडमान द्वीप पर ही पाए जाते हैं। अब इनकी संख्या 403 के आसपास ही बची है। सुप्रीम कोर्ट ने इनके संरक्षण को लेकर पहले ही कई कदम उठाने के आदेश दे रखे हैं। जरावा आदिवासियों के संरक्षण के लिए कोर्ट का साफ निर्देश है कि उनके रिहायशी इलाके तक जाने वाली सड़क पर आम लोगों को न जाने दिया जाए।
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