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Anders Bering have connection with Hinduvaad

नई दिल्ली। नार्वे का लादेन और 76 लोगों का हत्यारा 32 साल का एंडर्स बेरिंग ब्रेविक हिंदुत्व प्रेमी निकला। उसके विचार ऐसे हैं जो हिंदुत्ववादियों को बदनाम करते हैं। कट्टर मुस्लिम विरोधी ब्रेविक ने 1500 पन्नों के अपने घोषणापत्र में मुसलमानों के लिए जहर उगला है। मगर वहीं 100 से ज्यादा पन्नों में हिंदुत्ववादी संगठनों की तारीफ के पुल बांध दिए हैं। ब्रेविक का कहना है कि वो भारत से मुसलमानों को खदेड़ने में हिंदुत्ववादी तत्वों की मदद करेगा।
ब्रेविक को ऐसे समाज से नफरत है जिसमें अलग-अलग धर्मों के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। इसके खात्मे के लिए वो मुहिम छेड़ना चाहता था। वो एक ऐसी मुहिम शुरू करना चाहता था जिसे शुरुआत में आतंकवादी गतिविधियों का नाम दिया जाता लेकिन बाद में वो विश्व युद्ध में बदल जाती। इसमें विनाश के हथियारों का भी इस्तेमाल किया जाता।


इंसानियत के दुश्मन ब्रेविक का ऐलान है कि उसका 'जस्टिसियार नाइट्स' "सनातन धर्म और भारतीय राष्ट्रवादियों का समर्थन करता है।" ब्रेविक यहीं नहीं रुका, घोषणा पत्र के एक हिस्से में ब्रेविक ने कहा कि हिंदू राष्ट्रवादियों को "भारतीय सांस्कृतिक मार्क्सवादियों की तरफ से उसी तरह के जुल्म सहने पड़ रहे हैं जैसा उसके यूरोपीय भाइयों के साथ हो रहा है।"






एंडर्स ब्रेविक के घोषणा पत्र में हिंदूवादी संगठनों के समर्थन की बात आने के बाद से आरएसएस, बीजेपी, शिवसेना और वीएचपी जैसे संगठन खुद को इस सिरफिरे की करतूत से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं। आरएसएस प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि हम इसकी निंदा करते हैं लेकिन इसको RSS या हिन्दुत्व से जोड़ना गलत है। ये एक राजनीतिक साजिश है। दिग्गीकरण की बीमारी है कि हर चीज के पीछे आरएसएस और हिंदुत्व को जोड़ दिया जाए।




वहीं वीएचपी नेता बी पी सिंघल ने एंडर्स ब्रेविक की विचारधारा को सही बताते हुए कहा है कि ब्रेविक की सोच सही है लेकिन उसका तरीका बिलकुल गलत है। ब्रेविक का घोषणा पत्र उन हिंदू गुटों की तारीफ़ करता है जो "इस तरह की नाइंसाफियों को बर्दाश्त नहीं करते और जब हालात क़ाबू से बाहर हो जाते हैं तो मुसलमानों पर हमले करते हैं।" लेकिन साथ ही वो कहता है कि इस तरह के आचरण से फायदे की बजाए नुकसान होता है। "मुसलमानों पर हमले करने की बजाए उन्हें ग़द्दारों को निशाना बनाना चाहिए, और अपनी जंगी क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए" ताकि ऐसी ताकतों का बढ़ावा देने वाली सरकार का तख्ता पलट किया जा सके।




लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर उसने खुद क्या किया। उसने भी आतंकवादियों की ही तरह मासूमों को अपनी बेवजह की नफरत का शिकार बना डाला। आखिर में अपने घोषणा पत्र में ब्रेविक ने मशविरा देते हुए कहा है कि अब यूरोपीय और भारतीय विरोधी समूह को एक दूसरे से सबक लेकर एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए क्योंकि दोनों ही देशों का लक्ष्य एक ही है।

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