नई दिल्ली। बाबा रामदेव ने काले धन के खिलाफ हल्ला बोला हुआ है। टैक्स चोरों के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। लेकिन बाबा का एक दूसरा चेहरा भी है। वो चेहरा जिसे देखकर शायद आपको यकीन ना हो। टैक्स चोरी रोकने के लिए जान देने की बात करने वाले बाबा रामदेव खुद टैक्स की चोरी करते हैं। ये कहना है खुद उन लोगों का जो उनके सेवा केंद्रों से जुड़े हैं। इनका कहना है कि बाबा के नाम पर चलता है टैक्स चोरी का एक बड़ा नेटवर्क, जो हर साल देश को लगाता है सैकड़ों करोड़ का चूना।
बाबा रामदेव के पतंजलि आरोग्य केंद्रों से या पतंजलि चिकित्सालयों से दवा खरीदते वक्त आपको दी जाने वाली रसीद पर कोई सेल टैक्स नंबर नहीं होता। जानते हैं ऐसा क्यों होता है, क्योंकि ये लोग पक्की रसीद दे ही नहीं सकते। दरअसल देशभर में फैले हजारों पतंजलि चिकित्सालयों में दवा हरिद्वार के पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से आती है लेकिन इन दवाओं को बेचने वाले लोगों की मानें तो अगर 10 लाख का माल आता है तो उसमें से आधे से भी ज्यादा माल का बिल नहीं होता। सिर्फ 30 से 40 फीसदी माल का ही पक्का बिल होता है यानि बाकी 60 से 70 फीसदी माल पर टैक्स नहीं देते बाबा रामदेव।
अब दुकानदार अगर 70 फीसदी दवाएं कच्चे बिल से खरीदेगा तो आपको पक्का बिल बनाकर कैसे दे देगा। पक्की रसीद यानि ऐसी रसीद जिसमें सेल्स टैक्स नंबर हो और कच्ची रसीद यानि वो रसीद जिसमें सेल्स टैक्स नंबर ना हो। आईबीएन7 के पास ये दोनों रसीद मौजूद हैं(आप वीडियो में देख सकते हैं)। एक अनुमान के मुताबिक बाबा के पतंजलि चिकित्सालयों का सालाना टर्नओवर करीब एक हजार करोड़ का है। अगर इसमें से आधे पर टैक्स चोरी हो तो सोचिए हर साल कैसे बाबा और उनका पतंजलि चिकित्सालय सरकार को सैकड़ों करोड़ का चूना लगा रहा है।
पूरे देश में फैलीं पतंजलि की ज्यादातर दुकानों ने सेल्स टैक्स रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है और बाबा के प्रभाव की वजह से कोई इन्हें चेक भी नहीं करता। जिनका रजिस्ट्रेशन है भी तो वो पक्का बिल नहीं देते। आईबीएन7 ने पश्चिम बंगाल के आसनसोल में कई दुकानदारों से बात की। उन्होंने बेबाकी से बताया है कि उनमें से किसी को भी रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है। पूरे देश में बाबा के 500 से भी ज्यादा सेवा केंद्र हैं। छोटे से छोटे सेवा केंद्र का सालाना बिजनेस 1 से 1.5 करोड़ रुपये का है यानि कि पतंजलि सिर्फ सेवा केंद्रों से साल में 700 से 800 करोड़ रुपये का व्यापार करती है। उपकेंद्रों और बाबा के शिविरों के दौरान जो सामान बेचे जाते हैं वो अलग हैं। सबको जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा एक हजार करोड़ को पार कर जाता है।
सैकड़ों करोड़ के इस बिजनेस के एक बड़े हिस्से पर टैक्स नहीं दिया जाता। सवाल उठता है कि आखिर कैसे बाबा तक पहुंचता है बिना टैक्स वाले माल का पैसा। पतंजलि औषधालय से जुड़े दुकानदारों की मानें तो पक्के बिल का पैसा तो चेक से पतंजलि भेज दिया जाता है लेकिन बिना बिल के आए सामान का पैसा दान के रूप में बाबा को दिया जाता है। साफ है कि बाबा रामदेव से जुड़ी इन जगहों पर टैक्स को लेकर जबरदस्त गड़बड़झाला है।
पतंजलि आरोग्य केंद्र पर सिर्फ टैक्स की हेराफेरी नहीं होती। यहां मिल रहे कई सामान समय-सीमा निकल जाने के बाद भी बेचे जाते हैं। पतंजलि सेवा केंद्र के एक कर्मचारी ने बताया कि कई दवाओं पर 6 महीने की समय सीमा सिर्फ सरकार को बेवकूफ बनाने के लिए लिखी गई है। दरअसल ये दवाएं तो वे सालों तक बेचते हैं। दुकानदार की मजबूरी है। अगर माल वापस करता है तो उसे 50 फीसदी का नुकसान होगा, लिहाजा दुकानदार भी बाबा के नाम पर कुछ भी बेच रहे हैं। बाबा के सेवा केंद्र के कर्मचारी की तो दलील ये है कि बाबा की दवाएं जितनी पुरानी होंगी उतनी ही अच्छी होंगी।
बाबा के सेवा केंद्र के एक अन्य कर्मचारी की बात सुनकर तो बाबा के कई भक्त परेशान हो जाएंगे। उसकी मानें तो बाबा की दवाओं में हिरन की हड्डी और ऊंट का मांस जैसी चीजें भी मिलाई जाती हैं। हो सकता है कि ये पतंजलि सेवा केंद्र के कर्मचारी की अपनी राय हो लेकिन बंगाल के हावड़ा, आसनसोल और यहां तक कि झारखंड में भी आईबीएन7 ने कई पतंजलि सेवा केंद्रों का दौरा कर ये पाया कि ये दवाएं 6 महीने से कहीं बाद भी बेची जा रही हैं। ये कुछ दिन पहले तक की बात थी। फिलहाल बाबा पर कसते सरकारी शिकंजे के बाद अब हालात कुछ बदले हुए हैं।
(आईबीएन7 ने इन तमाम मुद्दों पर जब बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण से उनका पक्ष जानना चाहा तो दोनों ने चुप्पी साध ली। लगभग हर मुद्दे पर अपनी राय बेबाकी से रखने वाले बाबा रामदेव ने इस मुद्दे पर आईबीएन7 से कोई भी बात करने से इनकार कर दिया)
(बाबा रामदेव पर पूरे खुलासे को विस्तार से देखने के लिए वीडियो देखें).
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