सोमवार, 12 सितंबर, 2011: दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में दलितों की एक भीड़ पर की गई पुलिस फायरिंग में पांच लोग मारे गए हैं जबकि पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 50 लोग घायल हैं.
रामानाथपुरम ज़िले के परमाकुड़ी इलाक़े में दलित अपने नेता जॉन पांडियन की गिरफ़्तारी का विरोध कर रहे थे. भीड़ ने बाद में हिंसक रूख़ अख़्तियार कर लिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार भीड़ गाड़ियों को आग लगा रही थी और रास्ता रोकने की कोशिश कर रही थी.
समाचार एजेंसी का कहना है कि पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और भीड़ पर लाठी का भी इस्तेमाल किया लेकिन भीड़ पर क़ाबू पाना मुश्किल हो रहा था.
कम से कम 15 वाहनों को आग लगा दी गई है, जिसमें पुलिस की भीड़ पर नियंत्रण करने वाली एक गाड़ी भी शामिल थी.
आत्मरक्षा
मुख्यमंत्री जे जयललिता ने कहा है, "पुलिस को आत्मरक्षा और संपत्ति की हिफ़ाज़त के लिए गोली चलानी पड़ी."
पुलिस ने जॉन पांडियन को दलित नेता सेकरन की बरसी में शामिल होने से रोकने के लिए गिरफ़्तार कर लिया था.
पांडियन उस दलित छात्र के घर भी जाना चाहते थे जिसकी हत्या शुक्रवार को कर दी गई थी.
दलित नेताओं का कहना है कि पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुख़्ता इंतज़ाम नहीं किए थे.
इस बीच दूसरे इलाक़ों में भी विरोध शुरू हो गया है. पुलिस को मदुरई में गोलियां चलानी पड़ी जिसमें ख़बरों के मुताबिक़ कई लोग घायल हो गए हैं.कुछ ट्रेनों को भी रद्द किए जाने की ख़बरें हैं.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2011/09/110911_tamilnadu_dalit_fma.shtml
रामानाथपुरम ज़िले के परमाकुड़ी इलाक़े में दलित अपने नेता जॉन पांडियन की गिरफ़्तारी का विरोध कर रहे थे. भीड़ ने बाद में हिंसक रूख़ अख़्तियार कर लिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार भीड़ गाड़ियों को आग लगा रही थी और रास्ता रोकने की कोशिश कर रही थी.
समाचार एजेंसी का कहना है कि पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और भीड़ पर लाठी का भी इस्तेमाल किया लेकिन भीड़ पर क़ाबू पाना मुश्किल हो रहा था.
कम से कम 15 वाहनों को आग लगा दी गई है, जिसमें पुलिस की भीड़ पर नियंत्रण करने वाली एक गाड़ी भी शामिल थी.
आत्मरक्षा
मुख्यमंत्री जे जयललिता ने कहा है, "पुलिस को आत्मरक्षा और संपत्ति की हिफ़ाज़त के लिए गोली चलानी पड़ी."
पुलिस ने जॉन पांडियन को दलित नेता सेकरन की बरसी में शामिल होने से रोकने के लिए गिरफ़्तार कर लिया था.
पांडियन उस दलित छात्र के घर भी जाना चाहते थे जिसकी हत्या शुक्रवार को कर दी गई थी.
दलित नेताओं का कहना है कि पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुख़्ता इंतज़ाम नहीं किए थे.
इस बीच दूसरे इलाक़ों में भी विरोध शुरू हो गया है. पुलिस को मदुरई में गोलियां चलानी पड़ी जिसमें ख़बरों के मुताबिक़ कई लोग घायल हो गए हैं.कुछ ट्रेनों को भी रद्द किए जाने की ख़बरें हैं.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2011/09/110911_tamilnadu_dalit_fma.shtml
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