बेंगलुरु ।। दंगा फैलाने के मकसद से एक हिंदूवादी संगठन श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर खुद ही पाकिस्तानी झंडा फहराया और यह कहते हुए विरोध प्रदर्शन करने लगे कि इसके पीछे मुस्लिम संगठनों का हाथ है। झंडा 1 जनवरी की सुबह कर्नाटक के बीजापुर जिले में सिंडगी तहसीलदार ऑफिस के सामने फहराया गया था। हालांकि बाद में श्रीराम सेना ने आरएसएस पर दोष मढ़ने की कोशिश की।
पुलिस ने इस मामले में मंगलवार को एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया। यह इस मामले में सातवीं गिरफ्तारी है। गिरफ्तार किए जाने वाले लोग श्रीराम सेना के सदस्य बताए जाते हैं।
पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने सुबह-सुबह झंडा फहरा दिया और इसका दोष शहर के मुस्लिम समुदाय पर मढ़ने की कोशिश की। मुख्य आरोपी राकेश मथ की अगुवाई में तहसीलदार ऑफिस पर ही प्रदर्शन आयोजित किया गया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे मुस्लिम संगठनों का हाथ है। उनकी मांग थी कि पुलिस जल्द से जल्द उन लोगों को गिरफ्तार करे।
पुलिस ने तुरंत मामले की जांच के लिए टीम गठित कर दी। जैसे-जैसे पुलिस की जांच बढ़ती गई, पूरी साजिश बेनकाब होती गई। पुलिस के मुताबिक इसके पीछे मकसद शहर में दंगा फैलाना था।
हमारा नहीं संघ का हाथः श्रीराम सेना
इस बीच श्रीराम सेना की जिला इकाई के सदस्यों ने दावा किया है कि इस मामले के आरोपी उनके संगठन के नहीं बल्कि आरएसएस के सदस्य हैं। इन लोगों ने अपने दावे को साबित करने के लिए कई तस्वीरें भी मीडिया के सामने पेश की।
इस बीच पुलिस के आला अधिकारियों का मानना है कि इस पूरे मामले के पीछे दरअसल बीजेपी के एक निर्वाचित प्रतिनिधि का हाथ है। उसी के कहने पर इस पूरी साजिश को अंजाम दिया गया है। उस नेता का राजनीतिक अजेंडा था, जिले में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देना। सूत्रों के मुताबिक उस नेता ने अपने इन समर्थकों को निर्देश दिया था कि उसके शामिल होने के सारे सबूत मिटा दिए जाएं।
पुलिस ने इस मामले में मंगलवार को एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया। यह इस मामले में सातवीं गिरफ्तारी है। गिरफ्तार किए जाने वाले लोग श्रीराम सेना के सदस्य बताए जाते हैं।
पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने सुबह-सुबह झंडा फहरा दिया और इसका दोष शहर के मुस्लिम समुदाय पर मढ़ने की कोशिश की। मुख्य आरोपी राकेश मथ की अगुवाई में तहसीलदार ऑफिस पर ही प्रदर्शन आयोजित किया गया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे मुस्लिम संगठनों का हाथ है। उनकी मांग थी कि पुलिस जल्द से जल्द उन लोगों को गिरफ्तार करे।
पुलिस ने तुरंत मामले की जांच के लिए टीम गठित कर दी। जैसे-जैसे पुलिस की जांच बढ़ती गई, पूरी साजिश बेनकाब होती गई। पुलिस के मुताबिक इसके पीछे मकसद शहर में दंगा फैलाना था।
हमारा नहीं संघ का हाथः श्रीराम सेना
इस बीच श्रीराम सेना की जिला इकाई के सदस्यों ने दावा किया है कि इस मामले के आरोपी उनके संगठन के नहीं बल्कि आरएसएस के सदस्य हैं। इन लोगों ने अपने दावे को साबित करने के लिए कई तस्वीरें भी मीडिया के सामने पेश की।
इस बीच पुलिस के आला अधिकारियों का मानना है कि इस पूरे मामले के पीछे दरअसल बीजेपी के एक निर्वाचित प्रतिनिधि का हाथ है। उसी के कहने पर इस पूरी साजिश को अंजाम दिया गया है। उस नेता का राजनीतिक अजेंडा था, जिले में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देना। सूत्रों के मुताबिक उस नेता ने अपने इन समर्थकों को निर्देश दिया था कि उसके शामिल होने के सारे सबूत मिटा दिए जाएं।
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